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नज़्म
दिल की बे-सूद तड़प जिस्म की मायूस पुकार
चंद रोज़ और मिरी जान फ़क़त चंद ही रोज़
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
हर मसर्रत में है राज़-ए-ग़म-ओ-हसरत पिन्हाँ
क्या सुनोगी मिरी मजरूह जवानी की पुकार
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
मेरा नामूस-ए-वफ़ा मेरी मोहब्बत का ग़ुरूर
मेरी नब्ज़ों का तरन्नुम मिरे नग़्मों की पुकार
जाँ निसार अख़्तर
नज़्म
का हेयूला हुजूम में से पुकार उट्ठी अबू-लहब
तू वही है जिस की दुल्हन जब आई तो सर पे ईंधन
नून मीम राशिद
नज़्म
अंधेरे कमरे में जब किरन आई तीरगी धारियाँ बनेगी
और उस किरन से अंधेरा पल-भर उजाला बन कर पुकार उठेगा
मीराजी
नज़्म
मेरी नज़्मों में मिरी रूह की दिल-दोज़ पुकार
फिर भी रह रह के खटकती है मिरे दिल में ये बात