aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "pur-aab"
रवाँ-दवाँ तुझे हिन्दोस्ताँ से सोए अदमब-क़ल्ब-ए-ज़ार ओ ब-चश्म-ए-पुर-आब देखेंगे
कब से इस दीदा-ए-पुर-आब में हैरौशनी देर से आँखों की बुझी जाती है
दम-ए-विदाअ' वो रंगीं उदासियाँ तेरीहुनूज़ याद है वो दीदा-ए-पुर-आब तिरा
दम-ए-विदाअ' वो रंगीं उदासियाँ तेरीहनूज़ याद है वो दीदा-ए-पुर-आब तिरा
बहुत पुर-आब हैपर ये सच है
रूह बेचैन हैचश्म-ए-पुर-आब से बारिशों की तवक़्क़ो भी बे-कार है
सिर्फ़ इक ताज़ा लहू की ख़ुशबूसर्द पुर-आब फ़ज़ाओं में बिखर जाती है
आँख चढ़ते हुए दरिया की तरह है पुर-आबपाँव फिस्ले है तो फिर साँस का रिश्ता न रहे
مريد ہندي چشم بينا سے ہے جاري جوئے خوں
शाख़ पर इक पेड़ कीदो कबूतर माइल-ए-राज़-ओ-नियाज़
पीर-ए-वामाँदा कोईकोट पे मेहनत की सियाही के निशाँ
ख़ाक पर इक बूँद लपकीबूँद जम कर लोथड़ा
तो चढ़ते हैं मगरजब पीर-ए-कामिल मिल जाए
اے پير حرم! رسم و رہ خانقہي چھوڑ مقصود سمجھ ميري نوائے سحري کا
गूँजते गरजते हुए रास्ते पर एक औरतघर की क़ैद से भागी हुई औरत
युद्ध का तमाशा दिखायाआदमी चाँद पर आज उतरा तो क्या
सितम पर इक सितम ईजाद रखनासितमगर हश्र की बुनियाद रखना
दर्द उरूज पर आ जाए तोख़ौफ़ कहाँ रहता है
सीप के होंट पर एक मोती जड़ाइक सुनहरी हथेली पे हीरा पड़ा
पानी पर इक तस्वीर हमारी उभरी थीइक तस्वीर ज़माने की
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