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नज़्म
किसी ने हाल पूछा तो बहुत ही बे-नियाज़ी से
कहा जी हाँ ख़ुदा का शुक्र है मैं ख़ैरियत से हूँ
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
नज़्म
मैं ने घबरा के ये पूछा कि ये हालत क्यूँ है
तेरी हस्ती हदफ़-ए-रंज-ओ-मुसीबत क्यूँ है
शकील बदायूनी
नज़्म
ताब नहीं हर एक से पूछें बाबा तुझ पर क्या गुज़री
एक को रोक के पूछा हम ने, सीना उस का बरयाँ था
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
पूछा उस से कि ये है बाग़ बताओ किस का
उस ने तब गुल की तरह हँस दिया और मुझ से कहा