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नज़्म
इस गुल-कदा-ए-पारीना में फिर आग भड़कने वाली है
फिर अब्र गरजने वाले हैं फिर बर्क़ कड़कने वाली है
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
मुफ़्लिस किसी का लड़का जो ले प्यार से उठा
बाप उस का देखे हाथ का और पाँव का कड़ा