आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "qaabil-e-jaur-o-sitam"
नज़्म के संबंधित परिणाम "qaabil-e-jaur-o-sitam"
नज़्म
शहीद-ए-जौर-ए-गुलचीं हैं असीर-ए-ख़स्ता-तन हम हैं
हमारा जुर्म इतना है हवा-ख़्वाह-ए-चमन हम हैं
आनंद नारायण मुल्ला
नज़्म
देखो हम कैसे बसर की इस आबाद ख़राबे में
कभी ग़नीम-ए-जौर-ओ-सितम के हाथों खाई ऐसी मात
अख़्तरुल ईमान
नज़्म
हामी-ए-जौर-ओ-सितम हर तरह माला-माल था
जिस की लाठी थी उसी की भैंस थी ये हाल था
कुँवर महेंद्र सिंह बेदी सहर
नज़्म
तेरे जौर-ओ-सितम-ओ-नाज़-ओ-तलव्वुन के क़तील
काँप कर कहते हैं नैरंगी-ए-क़िस्मत तुझ को
अज़ीमुद्दीन अहमद
नज़्म
रहेगा यूँ लबों पर शिकवा-ए-जौर-ए-ख़िज़ाँ कब तक
सताएगा भला नाज़ुक दिलों को ये जहाँ कब तक
शौकत परदेसी
नज़्म
इब्न-ए-आदम या'नी ये पर्वर्दा-ए-जौर-ए-फ़लक
शायद अब इस पर मशिय्यत मेहरबाँ होने को है
फ़ज़लुर्रहमान
नज़्म
था यहाँ तक हम पे जौर-ए-गर्दिश-ए-चर्ख़-ए-बुलंद
मोतियों के बदले हम को कंकर आते थे पसंद
जगत मोहन लाल रवाँ
नज़्म
वो शय दे जिस से नींद आ जाए अक़्ल-ए-फ़ित्ना-परवर को
कि दिल आज़ुर्दा-ए-तमईज़-ए-लुत्फ़-ए-जौर है साक़ी
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
ये सराबों के पुजारी ये ग़ुलामों के ग़ुलाम
मज्लिस-ए-जौर-ओ-जफ़ा कारगह-ए-दाना-ओ-दाम