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नज़्म
मीम हसन लतीफ़ी
नज़्म
ख़्वाब-ए-गिराँ से ग़ुंचों की आँखें न खुल सकीं
गो शाख़-ए-गुल से नग़्मा बराबर उठा किया
आल-ए-अहमद सुरूर
नज़्म
ब-ज़ेर-ए-शाख़-ए-गुल-ए-शगुफ़्ता मैं सूरत-ए-शम्अ' चुप खड़ी हूँ
फ़ज़ा में कोयल की इक सदा है
बिलक़ीस जमाल बरेलवी
नज़्म
सुब्ह के हाथ में ख़ुर्शीद के साग़र की तरह
शाख़-ए-ख़ूँ-रंग-ए-तमन्ना में गुल-ए-तर की तरह