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नज़्म
ज़माना फेंक देगा ख़ुद उन्हें क़अ'र-ए-हलाकत में
वो अपने हाथ से होंगे ख़ुद अपनी क़ब्र के बानी
अहमक़ फफूँदवी
नज़्म
क़द्र-ए-जवाहर-ए-हसीं देख ब-चश्म-ए-ग़ौर तू
वर्ना हज़ार ज़िल्लतें तेरे लिए हैं और तू
अर्श मलसियानी
नज़्म
दिया है रब ने तो बे-शक तुम उस को ख़र्च करो
मगर ब-क़द्र-ए-ज़रूरत हो बे-हिसाब न हो
अब्दुल अहद साज़
नज़्म
रंज-ओ-ग़म देखे हैं मैं ने और ख़ुशी भी देख ली
दीदा-ए-इंसाँ में क़द्र-ए-ज़िंदगी भी देख ली
माया खन्ना राजे बरेलवी
नज़्म
लाख चेहरों पे नुमायाँ हों मसर्रत के नुक़ूश
ज़िंदगी ग़म-कदा-ए-क़ल्ब-ओ-नज़र है ऐ दोस्त
अनवर साबरी
नज़्म
ब-क़द्र-ए-ज़ौक़ तकमील-ए-तमन्ना की तमन्ना है
इसी आग़ोश में मेराज-ए-फ़र्दा की तमन्ना है