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नज़्म
सुन ऐ फ़रेफ़्ता-ए-क़िस्सा-हा-ए-हिज्र-ओ-विसाल
अमीक़-तर हैं समुंदर से ज़िंदगी के निकात
अफ़सर सीमाबी अहमद नगरी
नज़्म
तरक़्क़ी मुनहसिर 'इस्याँ पे है मक़्सूद-ए-फ़ितरत की
तड़पता सीना-हा-ए-शौक़ में राज़-ए-ज़ियाँ हो कर
अहसन अहमद अश्क
नज़्म
एक आग़ोश-ए-हसीं शौक़ की मेराज है क्या
क्या यही है असर-ए-नाला-ए-दिल-हा-ए-हज़ीं
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
पा-प्यादा और फिर सदा ज़बाँ में
सोज़-हा-ए-अंदरूँ के क़िस्सा-ए-पारीना की तफ़्सील में ता'बीर में
इकराम ख़ावर
नज़्म
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
किस किस अंदाज़ से तहरीर किया हाल-ए-सितम
ग़म किया आप ने शाह-ए-शोहदा का क्या क्या
नाज़िश प्रतापगढ़ी
नज़्म
ऐ दोस्तो बताओ किस हाल में हो अब तुम
होंटों पे क्यों नहीं है वो शोख़ी-ए-तबस्सुम