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नज़्म
तर्ज़-ए-नौ की शाएरी भी सूर-ए-इस्राफ़ील है
शाएरी हाबील है और तर्ज़-ए-नौ क़ाबील है
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
अजम, वो मर्ज़-ए-तिलिस्म-ओ-रंग-ओ-ख़्याल-ओ-नग़मा
अरब, वो इक़लीम-ए-शीर-ओ-शहद-ओ-शराब-ओ-खुर्मा
नून मीम राशिद
नज़्म
फ़रेब खाए हैं रंग-ओ-बू के सराब को पूजता रहा हूँ
मगर नताएज की रौशनी में ख़ुद अपनी मंज़िल पे आ रहा हूँ
जमील मज़हरी
नज़्म
अज़-सर-ए-नौ फिर मुरत्तब हो जहान-ए-रंग-ओ-बू
ख़ार-ओ-ख़स से फिर हो पैदा कार-ख़ाने रंग-ओ-बू
सीमाब अकबराबादी
नज़्म
बदल दे बादा-ए-कोहना बदल दे साग़र-ए-गिल को
बदल दे तर्ज़-ए-मय-नोशी बदल दे रंग-ए-महफ़िल को
बर्क़ आशियान्वी
नज़्म
इक निगारिश-ए-आतिशीं हर शय पे है छाया हुआ
जैसे आरिज़ पर उरूस-ए-नौ के हो रंग-ए-हया
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
मिला है सब्ज़ा-ए-नौ-ख़ेज़ को क्या रंग-ए-ज़ंगारी
हवा लगने से जिस की ज़ख़्म-ए-दिल लाला के भरते हैं
नज़्म तबातबाई
नज़्म
ज़बाँ-ज़द हो रही है आज-कल इन की दिल-आवेज़ी
बड़ा दिलकश है इन कपड़ों का तर्ज़-ए-रंग-आमेज़ी
बनो ताहिरा सईद
नज़्म
वही है शौक़-ए-नौ-ब-नौ, वही जमाल-ए-रंग-रंग
मगर वो इस्मत-ए-नज़र, तहारत-ए-लब-ओ-दहन