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नज़्म
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
यूँ कहने को राहें मुल्क-ए-वफ़ा की उजाल गया
इक धुँद मिली जिस राह में पैक-ए-ख़याल गया
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
गुल से अपनी निस्बत-ए-देरीना की खा कर क़सम
अहल-ए-दिल को इश्क़ के अंदाज़ समझाने लगीं
सय्यदा शान-ए-मेराज
नज़्म
मोतिया चम्पा चँबेली अपनी दुनिया से हैं दूर
ऐ सखी मुझ को बता दे हुस्न का क्या है मआल
प्रेम पाल अश्क
नज़्म
तरक़्क़ी मुनहसिर 'इस्याँ पे है मक़्सूद-ए-फ़ितरत की
तड़पता सीना-हा-ए-शौक़ में राज़-ए-ज़ियाँ हो कर
अहसन अहमद अश्क
नज़्म
धन के मतवाले हैं हम हिर्स-ओ-हवस में चूर हैं
अस्ल में अपनी हक़ीक़त ही से कोसों दूर हैं
प्रेम पाल अश्क
नज़्म
सेहर ओ एजाज़ लिए जुम्बिश-ए-मिज़्गान-ए-दराज़
ख़ंदा-ए-शोख़ जमाल-ए-दुर-ए-ख़ुश-आब लिए
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
फ़िरदौस-ए-हुस्न-ओ-इश्क़ है दामान-ए-लखनऊ
आँखों में बस रहे हैं ग़ज़ालान-ए-लखनऊ