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नज़्म
खनकती हैं रसोई घर में अल्हड़ चूड़ियाँ अब तक
भरा की पोलियाँ लाती हैं सर पर बूढ़ियाँ अब तक
वसीम बरेलवी
नज़्म
फ़िक्र-ए-इंसाँ पर तिरी हस्ती से ये रौशन हुआ
है पर-ए-मुर्ग़-ए-तख़य्युल की रसाई ता-कुजा