aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "raunaq-e-baam-o-dar"
खुला है हर एक राज़ मुझ पर अब इस खंडर कातिलिस्म टूटा है बाम-ओ-दर का
बाम-ओ-दर चुप साध चुके हैंताक़ में इक मिट्टी का दिया अँधियारों से बातें करता है
कच्चे आँगन का वो घर वो बाम-ओ-दरगाँव की पगडंडियाँ वो रहगुज़र
बाम-ओ-दर ख़ामुशी के बोझ से चूरआसमानों से जू-ए-दर्द रवाँ
बरसों से ये बाम-ओ-दर कि जिन परमहकी हुई सुब्ह के हैं बोसे
दिल सुलग उठता है अपने बाम-ओ-दर को देख करफैलने लगती हैं जब भी शाम की परछाइयाँ
लाहौर-ए-पुर-कमाल तिरे बाम-ओ-दर की ख़ैर
ये बड़ा चाँद चमकता हुआ चेहरा खोलेबैठा रहता है सर-ए-बाम-ए-शबिस्ताँ शब को
सुकूत-ए-बाम-ओ-दर छू करमोहब्बत का यक़ीं कैसे दिलाएगी
जो अँधेरों की पपड़ी जमी थी लब-ए-बाम-ओ-दरवो उतरने को है
मिटा दोमुनक़्क़श दर-ओ-बाम के जगमगाते
अजनबी बाम-ओ-दरअजनबी रास्ते
बाम-ओ-दरमहल
उतरती जाती है बाम-ओ-दर-ए-हयात से धूपबिछड़ते जाते हैं एक एक कर के यार मिरे
बाम-ओ-दर ख़ामोशआसमाँ पर नहीं कोई तारा
सूना सूना है घरबे-असर बाम-ओ-दर
मेरे वतन के बाम-ओ-दरये रौशनियों के नगर
मिरे सामने वही रास्तेवही बाम-ओ-दर
किसी नगर के बाम-ओ-दररहेंगे याद उम्र-भर
और मैं चुप रहामेरे बाज़ार कूचे मिरे बाम-ओ-दर
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