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नज़्म
इस सैलाब को रोकेंगे हम हिम्मत हम ने बाँधी है
शेरों की औलाद हो तुम इन वीरों की संतान हो तुम
अर्श मलसियानी
नज़्म
हमें रोकेंगे कैसे आज अब्बा हम भी देखेंगे
हमें भी ले चलो बच्चों का मेला हम भी देखेंगे
सय्यदा फ़रहत
नज़्म
अली सरदार जाफ़री
नज़्म
दबेगी कब तलक आवाज़-ए-आदम हम भी देखेंगे
रुकेंगे कब तलक जज़्बात-ए-बरहम हम भी देखेंगे
साहिर लुधियानवी
नज़्म
जब उड़ेगी उन की चश्म-ए-दाम-ए-परवरदा में ख़ाक
नर्म डोरे तेरी आँखों के रहेंगे ताबनाक
जोश मलीहाबादी
नज़्म
ता-अबद आते रहेंगे
अबू-तालिब के बेटे हिफ़्ज़-ए-नामूस-ए-रिसालत की रिवायत के अमीं थे
इफ़्तिख़ार आरिफ़
नज़्म
मिल कर आँख बहाने से वो कब तक आँसू रोकेगी
उस के होंटों की लर्ज़िश भी तुम ने कभी नहीं देखी