aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ruu-ba-ruu"
तुम्हें लाई है मेरे रू-ब-रूसाअ'त चमकने की
तुम्ही को आज मिरे रू-ब-रू भी होना थाऔर ऐसे रंग में जिस का कभी गुमाँ भी न हो
खिलाड़ी रू-ब-रू बैठे हैंअपनी चाल चलते हैं
ये मिरे रू-ब-रू कौन है?जिस्म ओ जाँ चीथड़े करने वाली मिरी जाँ
मौत से क्यूँ डरूँ मैं आज भलामौत तो ज़िंदगी की वुसअ'त है
हया रोके थी अब तक कुछ न उन के रू-ब-रू निकलीबहुत छेड़ा दिल-ए-मुज़्तर को तब ये गुफ़्तुगू निकली
अब तक उन्हें तेरी सराब आँखों सेआईना मिसाल इक गुफ़्तुगू की आरज़ू है रू-ब-रू जानाँ
हमारे रू-ब-रू हमारी आरज़ू के रू-ब-रूवो इस ज़मीं पे क्यूँ चले
रू-ब-रू खड़ा पा कर
यही एक मंज़र-ए-रू-ब-रूमिरे शश जिहात की दास्ताँ
हो गए रू-ब-रूपुरानी किताब के
मैं क्या लिक्खूँकोई नौहा तुम्हारे रू-ब-रू
जाग उठी आईना-ए-रू-ब-रू करवट लेतीऊँचे आफ़ाक़-शिकन सैल की मस्ताना नफ़ीर
चुप भी ये नहीं रहतींरू-ब-रू तुम आईना
मेरे दिमाग़ के रू-ब-रू आओमैं तुम्हारे बराबर नहीं
पा-ब-जौलाँरू-ब-रू दौड़ जाता है
मीज़ान-ए-सदाक़त मेंतुलेगा रू-ब-रू सब के
भटकती हुई रूहों के रू-ब-रूनज़्र ख़ुद को करें
तुझ को वीराना-ए-तसव्वुर मेंदेख लेता हूँ रू-ब-रू अब भी
उम्मीद रू-ब-रू थीये इंक़लाब क्या है
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