aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "saa.at-e-sa.iid"
वो साज़-ए-किरदार भी हैं कमतरहै ज़िक्र जिन का कहानियों में
निढाल हो करउदास लहजे में
ये बढ़ती जा रही है आग हर जानिब यहाँ देखोबुझाने की ये सई-ए-राएगाँ देखो
‘अज़ाब-ए-क़ब्र झेलना गवारा थाकिसी में ज़िंदगी की सम्त देखने का हौसला न था
हरीम-ए-सा'अत-ए-रुख़्सत मेंदोनों ने
हम कहीं साअत-ए-बे-बाल-ओ-परीखोल के दम लेते हैं
सई-ए-ला-हासिल सहीइक सई-ए-ला-हासिल सही
अर्श के दीदा-ए-नमनाक से बारी-बारीसब सितारे सर-ए-ख़ाशाक बरस जाएँगे
टल ही गई साअ'त-ए-क़हत-ए-दमिशक़होश सिवा है मगर
फिर किसी साअ'त-ए-शब-गिरफ़्ता में कोई सितारा बुलाता नहीं
मगर मैं फिर भी डरता हूँकि ये सुकून साअ'त-ए-फ़तीला-ए-हयात है
ये तो मुमकिन नहीं बचपन का कोई दिन मिल जाएया पलट आए कोई साअत-ए-नायाब-ए-शबाब
वो सारी रौनक़ मंज़र कीइस साअ'त-ए-दिल-आज़ार से है
फिरकिसी साअ'त-ए-ना-पुर्स के गुम्बद के तले
इस जुनूँ-ख़ेज़ हसीं रात को देख!आज, इस साअत-ए-दुज़दीदा-ओ-नायाब में भी,
साअ'त-ए-ख़ुद-गरी ख़ुद-शनासीरिफ़ाक़त मोहब्बत के वो जागते क़ाफ़िले
मैं ख़ुश-क़िस्मत थाकैसी साअत-ए-ख़ुश-रंग ओ ख़ुश-आसार में मुझ को
ये लम्हा सा'अत-ए-बे-इख़्तियार है जानाँयहाँ गुमाँ के क़बीले यक़ीं को ढाते हैं
लज़्ज़त-ए-आरिज़-ओ-लब साअत-ए-तकमील-ए-विसालमेरी तक़दीर में है और तिरी बात में है
पा-शिकस्ता सी इक साअ'त-ए-नीम-जाँकाले क़रनों के सफ़र-ए-मुसलसल की इक दास्ताँ
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