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नज़्म
हबीब जालिब
नज़्म
तअल्लुक़ात का अफ़्सूँ कुदूरतों का ग़ुबार
दिलों का बुग़्ज़, मोहब्बत के दाएरों का हिसार
महमूद अयाज़
नज़्म
हुई फिर इमतिहान-ए-इशक़ की तदबीर बिस्मिल्लाह
हर इक जानिब मचा कुहराम-ए-दार-ओ-गीर बिस्मिल्लाह
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
ज़िंदगी के हुस्न का पैग़ाम था पैग़ाम-ए-शौक़
दीदा-ए-हैराँ में रक़्साँ थी मोहब्बत की बहार
सिद्दीक़ कलीम
नज़्म
शब-ए-एशिया के अँधेरे में सर-ए-राह जिस की थी रौशनी
वो गौहर किसी ने छुपा लिया वो दिया किसी ने बुझा दिया
नुशूर वाहिदी
नज़्म
बयाज़-ए-दिल को जो खोलें तो जुस्तुजू होगी
हर एक सफ़्हा-ए-हस्ती की गुफ़्तुगू होगी