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नज़्म
उँगलियाँ ख़ून से तर दिल-ए-कम-ज़र्फ़ को है वाहम-ए-अर्ज़-ए-हुनर
दिन की हर बात हुई बे-तौक़ीर
उबैदुल्लाह अलीम
नज़्म
कम-ज़र्फ़ हैं देते हैं तवाइफ़ के जो ता'ने
ऐ ज़ोहरा-जबीं अस्ल में मज़दूर है तू भी
अबुल मुजाहिद ज़ाहिद
नज़्म
इक न इक मज़हब की सई-ए-ख़ाम भी होती रही
अहल-ए-दिल पर बारिश-ए-इल्हाम भी होती रही
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
ऐ ज़बाँ तू नुत्क़ में आ कर बनी जादू-बयाँ
तू ने खोले राज़ वो अब तक जो थे दिल में निहाँ
साक़िब कानपुरी
नज़्म
तू थोड़ी थोड़ी सब को पिला वर्ना तिरे सर आ जाएगा
कंजूसी का इल्ज़ाम कि साक़ी रात गुज़रने वाली है