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नज़्म
यूँ कहने को राहें मुल्क-ए-वफ़ा की उजाल गया
इक धुँद मिली जिस राह में पैक-ए-ख़याल गया
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
क़ुमरियाँ मीठे सुरों के साज़ ले कर आ गईं
बुलबुलें मिल-जुल के आज़ादी के गुन गाने लगीं
सय्यदा शान-ए-मेराज
नज़्म
क्यों तअम्मुल है तुझे रोज़-ए-अजल आने में
ज़ीस्त का लुत्फ़ मिलेगा मुझे मर जाने में
आफ़ताब रईस पानीपती
नज़्म
वरक़ तारीख़ ने तेज़ी से उल्टे
तग़य्युर ले के साज़-ओ-बर्ग-ए-ता'मीर-ए-जहाँ आया
ज़किया सुल्ताना नय्यर
नज़्म
मता-ए-सोज़-ओ-साज़-ए-ज़िंदगी पैमाना ओ बरबत
मैं ख़ुद को इन खिलौनों से भी अब बहला नहीं सकता
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
कार-फ़रमा फिर मिरा ज़ौक़-ए-ग़ज़ल-ख़्वानी है आज
फिर नफ़स का साज़-ए-गर्म-ए-शो'ला-अफ़्शानी है आज
असरार-उल-हक़ मजाज़
नज़्म
दैर-ओ-हरम पे भी नहीं ये राज़ मुन्कशिफ़
हर्फ़-ए-अज़ल है कौन जो मा'ना-फ़रोश है
चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी
नज़्म
अँधेरी रात में जब मुस्कुरा उठते हैं सय्यारे
तरन्नुम फूट पड़ता है मिरे साज़-ए-रग-ए-जाँ से
शातिर हकीमी
नज़्म
आरिज़-ए-पुर-नूर झलका गेसु-ए-शब-रंग से
जू-ए-बार-ए-साज़-ए-दिल निकली सुकूत-ए-संग से
मयकश अकबराबादी
नज़्म
ख़ुदी का ज़ख़मा है मिज़राब-ए-साज़-ए-कौन-ओ-मकाँ
ख़ुदी का साज़ ग़ज़ल-ख़्वाँ नहीं तो कुछ भी नहीं