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नज़्म
मैं क्या जानूँ कौन है सूरज किस नगरी का बासी है
कैसा सर-चश्मा है जिस से जीवन धारा बहती है
मुग़नी तबस्सुम
नज़्म
शाइ'र-ए-हिन्दोस्ताँ ऐ शाइ'र-ए-जादू-बयाँ
हिन्द के ख़ुम-ख़ाना-ए-इरफ़ाँ के ऐ पीर-ए-मुग़ाँ
जयकृष्ण चौधरी हबीब
नज़्म
पानी में है चश्मों के असर आब-ए-बक़ा का
हर नख़्ल पे 'आलम ख़िज़र-ए-सब्ज़-क़बा का