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नज़्म
मगर मेहंदी लगे हाथों को इस से क्या ग़रज़ होगी
किवाड़ों पर जमी काई किसी की दस्तकों से साफ़ होनी है
सैफ़ अली
नज़्म
बड़े क़िस्से हैं दिल सब्र-ओ-सवाल के सुनने के
बड़ी बातें सैफ-ओ-किताब पे लिखने की