आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "sailaab-e-havaadis"
नज़्म के संबंधित परिणाम "sailaab-e-havaadis"
नज़्म
क्या आज मैं अपने सोए हुए जज़्बात-ए-जुनूँ बेदार करूँ
सैलाब-ए-हवादिस बन जाऊँ बर्बादी-ए-सद-आज़ाद करूँ
इफ़्फ़त ज़ेबा काकोरवी
नज़्म
जिलौ में इन के वो सैलाब-ए-किशत-ओ-ख़ूँ होगा
लरज़ उठेंगी हिमाला की चोटियाँ इक दिन
मसूद अख़्तर जमाल
नज़्म
कल ये दुनिया वादी-ए-रक़्स-ओ-नवा कहलाएगी
आज अगर जौलाँ-गह-ए-सैलाब-ओ-तूफ़ाँ है तो क्या
अफ़सर सीमाबी अहमद नगरी
नज़्म
आँख है और बारिश-ए-सैलाब-ए-ख़ूँ तेरे बग़ैर
आ कि रुस्वा है मिरा हाल-ए-ज़बूँ तेरे बग़ैर
जौहर निज़ामी
नज़्म
अल्लाह रे बेदर्दी तूफ़ान-ए-हवादिस की
दुनिया में हक़ीक़त भी बन जाती है अफ़्साना