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नज़्म
ता'मीर तो इन की फ़ितरत है, इक और नई ता'मीर सही
इक और नई तदबीर सही, इक और नई तक़दीर सही
अली सरदार जाफ़री
नज़्म
भूलते जाते हैं चाहत के मोहब्बत के सभी ढब
एक अन-सुलझी पहेली ज़िंदगी भर की तपस्या
मोनी गोपाल तपिश
नज़्म
दश्ती की धुन में साक़ी इक नग़्मा-ए-इराक़ी
हाँ फिर सुना ब-याद-ए-गुल-चेहरगान-ए-सहरा