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नज़्म
कोयल की सुरीली तानों पर थम थम के पपीहा गाता है
हल हो के हवा की लहरों में सावन का महीना आता है
नुशूर वाहिदी
नज़्म
कसे हुए एकतारे पर हैं गेंदे के दो फूल
मेहंदी लगे हाथों पर हीरे मोती जड़े दो नक़्श
इलियास बाबर आवान
नज़्म
रंग-ए-रुख़्सार पे हल्का सा वो ग़ाज़े का ग़ुबार
संदली हाथ पे धुंदली सी हिना की तहरीर