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नज़्म
सखी फिर आ गई रुत झूलने की गुनगुनाने की
सियह आँखों की तह में बिजलियों के डूब जाने की
शफ़ीक़ फातिमा शेरा
नज़्म
सियाह रातों के बे अमाँ रास्तों पे छिटके हुए ये चेहरे
कि जैसे पतझड़ में बिखर गए हों
सलाहुद्दीन परवेज़
नज़्म
मैं मिल्की वे की सफ़ेद राहों में ज़र्द सूरज के आशियाने में रहने वाला
गो जल रहा हूँ जला नहीं हूँ
रज़ी हैदर गिलानी
नज़्म
ऐ सती ऐ जल्वा-गाह-ए-शोला-ए-तनवीर-ए-हुस्न
पाक-दामानी का नक़्शा है तिरी तस्वीर-ए-हुस्न