aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "sar-e-rah"
गुज़र रहा है इधर से तो मुस्कुराता जाखिले नहीं हैं जो ग़ुंचे उन्हें खिलाता जा
सर-ए-रह पेड़ जामुन का खड़ा हैबड़ा छितनार है साया घना है
इक मौहूम सा काशाना नज़र आता हैएक मग़्मूम सा ग़म-ख़ाना नज़र आता है
लम्हा भर के लिए चलते चलते क़दम रुक गएख़ून के ताज़ा ताज़ा निशाँ छोड़ कर
शब-ए-एशिया के अँधेरे में सर-ए-राह जिस की थी रौशनीवो गौहर किसी ने छुपा लिया वो दिया किसी ने बुझा दिया
कहाँ से आई निगार-ए-सबा किधर को गईअभी चराग़-ए-सर-ए-रह को कुछ ख़बर ही नहीं
कहीं भी सर-ए-राहएक दूजे के
ज़माने के डर सेसर-ए-रह-गुज़र
सर-ए-राह मिल गए होकिसी अजनबी की मानिंद
हमें कल सर-ए-राह मिले थेवही आज भी
ये बड़ा चाँद चमकता हुआ चेहरा खोलेबैठा रहता है सर-ए-बाम-ए-शबिस्ताँ शब को
ग़ैर-मुतवक़्क़े तौर पेसर-ए-राह अगर तुम कहीं
सर-ए-राह पिट गई च्यूँटी बिचारीगिलहरी बन गई अब तो शिकारी
ये मिरे प्यार का मदफ़न ही नहीं है तन्हादेख इक शम-ए-सर-ए-राह-गुज़र चलती है
तमाम दिन की थकन का कोई गवाह नहींमुझे हवा-ए-सर-ए-रह-गुज़र पसंद सही
सर-ए-रह पिट गई च्यूँटी बिचारीगिलहरी बन गई अब तो शिकारी
किसी का सहारा सर-ए-राह बन करअगर हो सके तो ये नेकी कमा लो
इक हिरन चौकड़ी भरता हुआ ख़ामोश-ख़िरामशाम के वक़्त सर-ए-राहगुज़ार
पीटोगे कब तलक सर-ए-रह तुम लकीर कोबिजली की तरह साँप तड़प कर निकल गया
एक भी शम्अ' सर-ए-राह जलाया न करूँअपने बे-सूद तख़य्युल को भटक जाने दूँ
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