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नज़्म
अब ज़रा दिल थाम कर फ़रियाद की तासीर देख
तू ने देखा सतवत-ए-रफ़्तार-ए-दरिया का 'उरूज
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
था दिमाग़-ओ-दिल में सहबा-ए-क़नाअत का सुरूर
थी जवाब-ए-सतवत-ए-शाही तिरी तब-ए-ग़यूर
मिर्ज़ा मोहम्मद हादी अज़ीज़ लखनवी
नज़्म
हमारी ही तरह जो पाएमाल-ए-सतवत-ए-मीरी-ए-ओ-ए-शाही में
लिखोखा आबदीदा पा-पियादा दिल-ज़दा वामाँदा राही हैं
मजीद अमजद
नज़्म
सफ़्हा-ए-हस्ती से मिट जाएगा नाम-ए-ज़ुल्म-ओ-जब्र
अहल-ए-इस्तिब्दाद सब बे-दस्त-ओ-पा जाएँगे
अहमक़ फफूँदवी
नज़्म
सहर के झुटपुटे में गा रही थी रात की लैला
चमन में बज रहा था सतवत-ए-रफ़्ता का इक तारा