aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "shab-ba-khair"
जो दिन का पहला पैग़ाम भी थी और रात का आख़िरी सलाम भीसुब्ह-बा-ख़ैर से ले कर शब-ब-ख़ैर तक जो मेरा तकिया-कलाम थी
ब-ख़ैर ओ ख़ूबी पलट आए जैसे शाम हुईऔर अगले रोज़ का मौहूम ख़ौफ़ दिल में लिए
निय्यत जो थी ब-ख़ैर तो बरकत ख़ुदा ने दीकॉलेज हुआ दुरुस्त ब-सद शान-ओ-एहतिशाम
उन की नज़र में अपनी ही हर चीज़ ग़ैर हैतकिया है अपनी जा पे न चादर ब-ख़ैर है
यादश-ब-ख़ैर ख़ाक-ए-वतन तेरी गोद मेंक्या लोग थे जो दार को दिलदार कह गए
तेरा ये घर वो कश्ती बन जाए जो तुझे हर भँवर से ब-ख़ैर निकाल ले जाएगर्मियाँ आएँ तो घर क़ुर्बतों की गर्मी से दमक उट्ठे
मुझ से सबबस ये कहते हैं
किलकारियाँ लेनाभी सब बे-कैफ़ लगता है
चुपकी बैठीं सब बे-चारीचिड़ियों को धमकाते हो
''रिश्ते, चाहत, शोहरत, दौलततेरे लिए सब बे-माया
शागिर्दबे-शक बे-शक
सब बे-क़ीमत
और खम्बों को देखासब बे कार है कोई बोला
जैसे रह जाए कोई शयबे-सबब ही ढूँढती हूँ
बाक़ी सब बे-मोल हुएपल ये बस अनमोल हुए
खी खी हँसते जाओ सबबन जाए बीबी कोई सबब
सब नींद में थे खोए सब बे-ख़बर थे सोएलाया तलाश कर के रुई के चंद फोए
लपकोगी तुम सब बे-ख़बरइक तर निवाला जान कर
हैं साथ सब ब-ज़ाहिर अबमगर वो प्यार की शम्अ'
और कल शामबअ'द-अज़-सफ़र
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