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नज़्म
अनीस नागी
नज़्म
ख़ुदी का ज़ख़मा है मिज़राब-ए-साज़-ए-कौन-ओ-मकाँ
ख़ुदी का साज़ ग़ज़ल-ख़्वाँ नहीं तो कुछ भी नहीं
अफ़सर सीमाबी अहमद नगरी
नज़्म
उखड़ी-उखड़ी बात करे है भूल के अगला याराना
कौन हो तुम किस काम से आए? हम ने न तुम को पहचाना
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
हर नज़र में तिरे महबूब का जल्वा हो निहाँ
ख़ालिक़-ए-कौन-ओ-मकाँ ऐसी बसीरत दे दे