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नज़्म
मैं ने जो ज़ुल्म कभी तुझ से रवा रक्खा था
आज उसी ज़ुल्म के फंदे में गिरफ़्तार हूँ मैं
क़तील शिफ़ाई
नज़्म
रात गए तक घाएल नग़्मे करते हैं एलान यहाँ
ये दुनिया है संग-दिलों की कोई नहीं इंसान यहाँ