आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "sindh"
नज़्म के संबंधित परिणाम "sindh"
नज़्म
ख़ुद बचन दे के 'जरा' सिंध से रन में भागे
रहे बद-गोई-ए-शिशुपाल पे ख़ामोश कहीं
चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी
नज़्म
ये ख़त लिखना तो दक़यानूस की पीढ़ी का क़िस्सा है
ये सिंफ़-ए-नस्र हम ना-बालिग़ों के फ़न का हिस्सा है
जौन एलिया
नज़्म
वो 'भगत-सिंह' अब भी जिस के ग़म में दिल नाशाद है
उस की गर्दन में जो डाला था वो फंदा याद है
जोश मलीहाबादी
नज़्म
जब करेगी सिंफ़-ए-नाज़ुक अपनी उर्यानी पे नाज़
सिर्फ़ इक तू इस तलातुम में रहेगी पाक-बाज़
जोश मलीहाबादी
नज़्म
आसमाँ जान-ए-तरब को वक़्फ़-ए-रंजूरी करे
सिंफ़-ए-नाज़ुक भूक से तंग आ के मज़दूरी करे
जोश मलीहाबादी
नज़्म
सर्द रातों का हसीं इक ख़्वाब है चेहरा तिरा
क्या कहूँ बस मंज़र-ए-नायाब है चेहरा तिरा
जय राज सिंह झाला
नज़्म
तेरी फ़ितरत में है 'गोबिंद' का आसार मगर
'इब्न-मरियम' का मुक़ल्लिद तिरा किरदार मगर