aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "supurdagii"
न इस क़दर सुपुर्दगीकि ज़च करें नवाज़िशें
न मेरी आँखें चराग़ की लौन तुझ में ही ख़ुद-सुपुर्दगी थी
ये सुपुर्दगी हैये सुपुर्दगी बचपन है और बचपन बहिश्त...
उभर गई हैं वो चोटें दबी-दबाई हुईसुपुर्दगी ओ ख़ुलूस-ए-निहाँ के पर्दे में
ये सुपुर्दगी का तज़ाद हैवो खड़े खड़े जैसे सो गई
रात भीगे तो पुराने क़िस्सेपए तरतीब कोई और सहारा ढूँडें
बस एक आलम सुपुर्दगी काबस एक दरिया-ए-तिश्नगी था कि जिस की मौजें
उसे भी लगता तो होगा कि हम वही हैं मगरदिल ओ दिमाग़ की बाहम सुपुर्दगी के दिन
कि जब हवाएँ सुपुर्दगी से निहाल हो करतुम्हारे पहलू में डोलती हों
एक औरतआलम-ए-सुपुर्दगी में
कि न दिन गुज़रने का इल्म न रात का पताजहाँ सुपुर्दगी का वो आलम था
सर से पा तक सुपुर्दगी की अदाया इलाही ये माजरा क्या है
हैं कितनी दूर हुस्न की आग़ोश-ए-नाज़ सेलेकिन सुपुर्दगी की तमन्ना अभी से है
उस नेअपनी सोंधी सोंधी
उदासियों को सुपुर्दगी दे चुका हूँकहाँ का मेरा है अब इरादा
सुपुर्दगी का सफ़र अजब हैवो रात सावन की धूप जाड़े की आँख तेरी वो ख़्वाब तेरे
तू सुपुर्दगी के उरूज पर झिलमिला रही हैमिरे पिघलते हुए बदन को
जो दुआएँतुम क़ुदरत से माँगते हो
आलम-ए-सुपुर्दगी में आ करवो
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