aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "surKH-ruu.ii"
बेनाम-ओ-निशाँ सासुर्ख़-रूई की ख़्वाहिश-ए-सियाह के बग़ैर
सुर्ख़-रूई से मुकम्मल हो मुझे सैर करेआख़िरी कोस मुझे आज ही तय करना है
सुर्ख़ गुलाबचमकते हीरे
न कोई सुर्ख़-रू होगा, न कोई मुन्फ़इल होगा
संगसारी से मेरे माथे कोसुर्ख़-रू बनाते हैं
सुरख़-रू ठहरते होतुम्हारा दिल तवाफ़ करता रहता है
बंद आँखों में चमकती हैं यहाँअब सुर्ख़-रू हो कर
डूबती शाम के बालों में शफ़क़ की लालीकितनी बिछड़ी हुई यादों को मिला देती है
मोहब्बत हार कर भी सुर्ख़-रू हैमोहब्बत इब्तिदा है इंतिहा है
दरख़्त की सुर्ख़-रू साज़िशी पत्तियाँरास्तों के निशान खो चुकी हैं
और मल्गजी चाँदनी के अक्स घरअपने लहू से सुर्ख़-रू कर दूँ
जो मेरे अक्सों का सिलसिला हैजो मेरे होने से सुर्ख़-रू है
मुझे अब सुर्ख़-रू कर दोमिरे सब ख़्वाब चोरी हो गए हैं
ज़र्ब-ए-कलीम कुंद है फ़िरऔन सुर्ख़-रू
घूमती सूई के रस्ते की सलीबों से टपकतेक़तरा क़तरा सुर्ख़-रू सय्याल को
बे-गोर-ओ-कफ़न ही सहीशहीद-ओ-सुर्ख़-रू हो जाऊँ
मुझे कभी सुर्ख़-रू न देखोन मेरी यादों के जलते-बुझते निशाँ कुरेदो
है फ़ज़ा भी जवाँ और मौसम हसींसुर्ख़-रू हैं उमंगें भी दिल के क़रीं
अपने दिल-ओ-जाँ का लहू नज़्र करूँसुर्ख़-रू हो के कहूँ
सुर्ख़-रू होता है वो इक दिन ज़रूररहती है जिस दिल को चाहत इल्म की
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books