आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "tabarruk-e-hayaat"
नज़्म के संबंधित परिणाम "tabarruk-e-hayaat"
नज़्म
बज़्म-ए-ख़ामोश में छिड़ने को है फिर साज़-ए-हयात
मुंतज़िर बैठे हैं सब गोश-बर-आवाज़-ए-हयात
फ़ज़लुर्रहमान
नज़्म
इसी यक़ीं से जो इक ख़त्त-ए-मुसतक़ीम-ए-हयात
ज़मीं पे खींचना चाहें तो हम हैं सौदाई