aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "taisha-e-farhaad"
हम जन्नत-ए-परवेज़ के हैं हुस्न-ए-तफ़ाख़ुरशीरीं की तलब तेशा-ए-फ़र्हाद है हम से
ब-तर्ज़-ए-तेशा-ए-फ़रहादइक दिन
ये शीरीं है वो नौशाबा है शायदनहीं याँ फ़र्क़-ए-फ़र्हाद-ओ-सिकन्दर
शहर-ए-फ़रियाद परअपने किरदार से
दो-रूया क़तारों मेंअश्जार-ए-फ़रहाँ
इस बात पे क्यूँ इस की इतना भी हिजाब आएफ़रियाद से बे-बहरा कश्कोल से ख़ाली है
सर्द हवानौहा ओ नाला ओ फ़रियाद-कुनाँ
बहुत शादाँ-ओ-फ़रहाँ होसुना है
वही खंडर हैवही तमाशा-ए-अहद-ए-रफ़्ता
बसतमाशा-ए-अहल-ए-करम देखते रह गए
तमाशा-ए-अहल-ए-करम देखता हूँ
नक़्श-ए-फ़र्यादीबना फिरता हूँ मैं बाज़ार में
साहब-ए-अक़्ल-ओ-फ़हम हूँबहता हुआ पानी हूँ
सर पे डंडे पड़ें हरगिज़ न ये उफ़्ताद आएतालिब-ए-इल्म न करता हुआ फ़रियाद आए
मेरे जज़्बात हैं मजरूह मिरा दिल है फ़िगारग़म-ए-दौराँ की तपिश फूँक रही है दिल-ए-ज़ार
गिरे बिजली का इक कौंदालब-ए-फ़रियाद कोई वा करे
सुम्बुलीं ज़ुल्फ़ों पे अफ़्शाँ की चमकवो जबीं पर ताबिश-ए-माह-ए-मुबीं
घर की हालत जान चुके थे सो उठने की ठानीसाहब-ए-ख़ाना बोले बैठो बैठो कुछ फ़रमाओ
सुब्ह-ता-शाम वही एक शब का आहंगदर ओ दीवार पे उड़ती हुई राहों का ग़ुबार
गई बहार ज़बानों पे नाम बाक़ी हैख़याल की तपिश-ए-ना-तमाम बाक़ी है
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