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नज़्म
तल्ख़ी-ए-काम-ओ-दहन दुनिया से जो मुझ को मिली
झलकियाँ उस की न आईं कुछ मिरी तहरीर में
अख़तर बस्तवी
नज़्म
क़ुमरियाँ मीठे सुरों के साज़ ले कर आ गईं
बुलबुलें मिल-जुल के आज़ादी के गुन गाने लगीं
सय्यदा शान-ए-मेराज
नज़्म
लब पर है तल्ख़ी-ए-मय-ए-अय्याम वर्ना 'फ़ैज़'
हम तल्ख़ी-ए-कलाम पे माइल ज़रा न थे