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नज़्म
आज तो हम बिकने को आए, आज हमारे दाम लगा
यूसुफ़ तो बाज़ार-ए-वफ़ा में, एक टिके को बिकता है
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
गुलशन-ए-याद में गर आज दम-ए-बाद-ए-सबा
फिर से चाहे कि गुल-अफ़शाँ हो तो हो जाने दो
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
सुब्ह-दम बाद-ए-सबा की शोख़ियाँ काम आ गईं
लाला-ओ-गुल को बग़ल-गीरी का मौक़ा मिल गया
सय्यदा शान-ए-मेराज
नज़्म
नाज़िश प्रतापगढ़ी
नज़्म
क़ुर्बानी ऐसे हाल में अम्र-ए-मुहाल है
बकरा ''तमाम हल्क़ा-ए-दाम-ए-ख़याल है''
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
नज़्म
हुर्रियत-ए-आदम की रह-ए-सख़्त के रह-गीर
ख़ातिर में नहीं लाते ख़याल-ए-दम-ए-ताज़ीर