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नज़्म
जिगर मुरादाबादी
नज़्म
ये अपने पास कुछ भी फ़ख़्र के क़ाबिल नहीं रखते
तरस खा कर जिन्हें जनता ने कुर्सी पर बिठाया है
कैफ़ी आज़मी
नज़्म
सोहैब मुग़ीरा सिद्दीक़ी
नज़्म
हवा तुम्हारी तरह हर रविश पे चलती थी
तुम्हारे होंटों से हँसती थीं नर्म-लब कलियाँ