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नज़्म
कल शब मेरे बाज़ू उस की ख़ुशबू में तर थे
साकित आँख के पर्दे पर तस्वीर उसी की थी
मुहम्मद राशिद अतहर
नज़्म
क्यों चली कैसे चली उल्टी ज़माने की हवा क्या लहू एक नहीं
एक भाई ने किसी भाई का घर लूट लिया
बेकल उत्साही
नज़्म
थका-हारा अज़ल की वुसअतों में ख़ाक का पुतला
हज़ारों मन की तारीकी तले था साकित-ओ-जामिद
मोहम्मद शहबाज़ अकमल
नज़्म
आमिर रियाज़
नज़्म
कल भी ये कर्ब था और तीरा-शबी थी लेकिन
कल तो आया था कोई सुब्ह-ए-नौ उम्मीद लिए
मोहम्मद शामिमुज्जामा
नज़्म
ये मैं कि मुझ से छिन गया है सर-बसर
वो कौन है कि जिस की दस्तरस में आ के मैं मिरा नहीं रहा
ख़ालिद मुबश्शिर
नज़्म
न पूछ ऐ हम-नशीं कॉलेज में आ कर हम ने क्या देखा
ज़मीं बदली हुई देखी फ़लक बदला हुआ देखा