aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "tilismaat"
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवाअन-गिनत सदियों के तारीक बहीमाना तिलिस्म
बातों के वादों के शहर-ए-तिलिस्मात मेंआँख पर ख़ुश-गुमानी की पट्टी लिए
आज शब दिल के क़रीं कोई नहीं हैआँख से दूर तिलिस्मात के दर वा हैं कई
बे-तलब पहले-पहल मर्हमत-ए-बोसा-ए-लबजिस से खुलने लगें हर सम्त तिलिस्मात के दर
जितना ये ख़ाक का है तिलिस्मात बन रहाफिर ख़ाक उस को होता है यारो जुदा जुदा
परे से देखो तो सिर्फ़ ख़ुश्बू क़रीब जाओ तो इक नगर हैतिलिस्मी रंगों से भीगते घर निसाई साँसों से बंद गलियाँ
बेद-ए-मजनूँ के तिलिस्मात से पल-पल छनतीआसमानों को लपकती हुई इक तान की याद
मिरे वतन तिरी ख़िदमत में ले कर आया हूँजगह जगह के तिलिस्मात देस देस के रंग
कल यही शम्अ' जो सीने में फ़रोज़ाँ है आजआप के सारे तिलिस्मात जला डालेगी
और मिरे शहर-ए-तिलिस्मात की बे-दर आँखेंमिरी बे-दर मिरी बंजर मिरी पत्थर आँखें
हुर्रियत-ए-कामिल का वो ए'जाज़ दिखा तूदुनिया-ए-ग़ुलामी के तिलिस्मात बदल डाल
और बाक़ी सब कुछ हैंटूटे तिलिस्मात की हड्डियाँ
उमंगों के कोह-ए-निदा केतिलिस्मात-ए-ख़ुफ़्ता के दर खोलती हैं
उस घड़ीतीरगी के तिलिस्मात में
आ के ठहरे हैं तिरे प्यार के बरगद नीचेहम कि मसहूर तिलिस्मात-कदे हैं तेरे
लम्स की आँखों मेंक़ोस-दर-क़ोस तिलिस्मात अजब ज़िंदा हैं
ज़िंदगी एक तिलिस्मात-कदाजिस की दीवारों की ज़ीनत के लिए
ये जो दीवार कि रहती है सियह ख़ानों मेंदिन ढले अपने तिलिस्मात को दिखलाती है
चराग़-ए-तिलिस्मात मिलने से पहलेज़मीन ने मुझे अपनी आग़ोश में ले लिया है
आओ हम रक़्स-कुनाँ शहर-ए-तिलिस्मात में जज़्बात के रंगोंसे ज़माने की निगाहें भर दें
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