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नज़्म
दुनिया-ए-तदब्बुर में थी यकता-ए-ज़माना
हाथ उस के थे और उन में हुकूमत की इनाँ थी
चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी
नज़्म
मुझे तेरे तसव्वुर से ख़ुशी महसूस होती है
दिल-ए-मुर्दा में भी कुछ ज़िंदगी महसूस होती है
कँवल एम ए
नज़्म
इस एहतिमाम-ए-ख़्वाब-ए-तहय्युर में मैं नज़ाद
तन्हा खड़ा हूँ अपनी नुमाइश के वास्ते