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नज़्म
हर एक धड़कन पे दिल में इक टीस सी न उठ्ठे
हर एक हरकत पे आबलों में मरी हुई साँस जी न उठ्ठे
तनवीर मोनिस
नज़्म
कह नहीं सकता कहाँ से आए हो, तुम कौन हो
ऐसा लगता है कि ये सूरत है पहचानी हुई
ख़लील-उर-रहमान आज़मी
नज़्म
जब माह अघन का ढलता हो तब देख बहारें जाड़े की
और हँस हँस पूस सँभलता हो तब देख बहारें जाड़े की
नज़ीर अकबराबादी
नज़्म
हया रोके थी अब तक कुछ न उन के रू-ब-रू निकली
बहुत छेड़ा दिल-ए-मुज़्तर को तब ये गुफ़्तुगू निकली