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नज़्म
हवस ने कर दिया है टुकड़े टुकड़े नौ-ए-इंसाँ को
उख़ुव्वत का बयाँ हो जा मोहब्बत की ज़बाँ हो जा
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
टुकड़े टुकड़े जिस तरह सोने को कर देता है गाज़
हो गया मानिंद-ए-आब अर्ज़ां मुसलमाँ का लहू
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
इल्म ओ हिकमत रहज़न-ए-सामान-ए-अश्क-ओ-आह है
या'नी इक अल्मास का टुकड़ा दिल-ए-आगाह है