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नज़्म
नहीं मिर्रीख़ पर झीलें न चश्मा ही उबलता है
समुंदर है न दरिया है न कोई मोती मिलता है
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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नहीं मिर्रीख़ पर झीलें न चश्मा ही उबलता है
समुंदर है न दरिया है न कोई मोती मिलता है
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