aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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गेसू-ए-पुर-ख़म सवाद-ए-दोश तक पहुँचे हुएऔर कुछ बिखरे हुए उलझे हुए सिमटे हुए
आओ मैं उलझे बाल संवारूँमुझ से कोई काम तो ले लो
इन क़मीज़ों में इन उलझे हुए रुमालों मेंउस के बालों की महक आज भी आसूदा है
मेरे बिखरे हुए उलझे हुए बालों में कोईउँगलियाँ फेरता जाता है बड़े प्यार के साथ
क्या बच्चे सुलझे होते हैंजब गेंद से उलझे होते हैं
चमकते लफ़्ज़ों की मैली आँखों में उलझे आँसू बुला रहे थेमगर मुझे होश ही कहाँ था
सुलझाएँ बे-दिली से ये उलझे हुए सवालवाँ जाएँ या न जाएँ न जाएँ कि जाएँ हम
जब तुझ से न सुलझें तिरे उलझे हुए धंदेभगवान के इंसाफ़ पे सब छोड़ दे बंदे
दीवारों के इस जंगल में भटक रहे इंसानअपने अपने उलझे दामन झटक रहे इंसान
तुम जो लफ़्ज़ों के गोरख-धंदे में उलझेबे-रस शाएरी करते हो
बाढ़ के तारबाढ़ के तारों में उलझे हुए इंसानों के जिस्म
कि वो भी ज़राअपने उलझे हुए ज़ेहन की
कोयल के रसीले गीत सुने लेकिन ये कभी सोचा तू नेहैं उलझे हुए नग़्मे कितने इक साज़ के टूटे तारों में
दिल हो असीर गेसू-ए-अम्बर-सरिश्त मेंउलझे इन्हीं हसीन सलासिल में हम भी हों
चारासाज़ी के हर अंदाज़ का गहरा नश्तरग़म-गुसारी की रिवायात में उलझे हुए ज़ख़्म
सतीज़ा-कार रहे हैं जहाँ भी उलझे हैंशिआर-ए-राह-ए-ज़नाँ से मुसाफ़िरों के क़दम
मस-ओ-सीम के कासों की चमकऔर गुलू उलझे हुए तारों से भर जाता है
उलझे हुए हालात के तेवर हैं ख़तरनाकबदले हुए मौसम की हवा खेल रही है
मेरे उलझे बालों से उस की ज़ुल्फ़-ए-बरहम सेवो थी चाँद था मैं था
उलझे सुलझे लम्हों कीवक़्त चादरें बुन कर
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