aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "umar khayyam"
बादल ऊपर बादल आयाछाजों बरसा ऐसे छाया
एक बारसिर्फ़ एक बार
मुझे तुम से शिकायत हैकि तुम ने उम्र भर मुझ को
फिर ख़याल आया कि जीना है मुझेजिस तरह एक थका-माँदा परिंदा
सूरज के जलते विहार मेंबस गई
कस बोझ से जिस्म टूटता हैइतना तो कड़ा सफ़र नहीं था
एक पलहद-ए-निगाह
ख़ुशबू को भी ख़याल दूँतितली के रंग उजाल दूँ
हम ने अपने दिल की कश्तीतुम्हारी आँखों की नदी में
दिल के सादा वरक़ पे कुछ तो उतारभर मिरे कासा-ए-ख़याल को तो
तुम से बे-रंगी-ए-हस्ती का गिला करना थादिल पे अम्बार है ख़ूँ-गश्ता तमन्नाओं का
जब शाम-ए-चराग़ाँगुज़र जाती है
क्या कोई ख़बर आएज़िंदगी के तरकश में
तू समझता है जिसे मंज़िल-ए-ईसार-ओ-अमलवो अभी तिश्ना-ए-तकमील-ए-सफ़र है ऐ दोस्त
क़ौम की बेहतरी का छोड़ ख़यालफ़िक्र-ए-तामीर-ए-मुल्क दिल से निकाल
बंदर बोला साथी आओहम सब मिल कर खेलें खो खो
उतरती रात के ज़ीने से लग कर सोचता हूँसुब्ह जब होगी
जून ने जूँही जल्वा दिखायादिल ने ख़ुशी का नग़्मा गाया
तुम एक ख़याल की तरह मेरे दिल मेंनहीं उतर सकते
तुम ख़ामोश हवा होपहाड़ों नदियों दरियाओं से गुज़रते हुए
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