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नज़्म
न हो नौमीद नौमीदी ज़वाल-ए-इल्म-ओ-इरफ़ाँ है
उमीद-ए-मर्द-ए-मोमिन है ख़ुदा के राज़-दानों में
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
वही है शोर-ए-हाए-ओ-हू, वही हुजूम-ए-मर्द-ओ-ज़न
मगर वो हुस्न-ए-ज़िंदगी, मगर वो जन्नत-ए-वतन
जिगर मुरादाबादी
नज़्म
निगाह को थी मगर मीर-ए-कारवाँ की तलाश
नज़र जो उट्ठी तो देखा कि एक मर्द-ए-फ़क़ीर
सय्यदा शान-ए-मेराज
नज़्म
बे-तकल्लुफ़ तिफ़्ल-ए-शोख़-ओ-शैख़-ए-शैब-ओ-मर्द-ओ-ज़न
आज मशग़ूल-ए-तरब हैं लुत्फ़-ए-बाहम के लिए
नवाब सय्यद हकीम अहमद नक़्बी बदायूनी
नज़्म
ऐ मर्द-ए-ख़ुदा तुझ को वो क़ुव्वत नहीं हासिल
जा बैठ किसी ग़ार में अल्लाह को कर याद
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
ज़िंदगी तेरी मिसाल-ए-मर्द-ए-मैदाँ हो अज़ीम
तूर हो ये जिस्म-ए-ख़ाकी रूह मानिंद-ए-कलीम
साबिर अबुहरी
नज़्म
एक मर्द-ए-बा-सफ़ा था डॉक्टर-ज़ाकिर-हुसैन
नेक-दिल फ़रमाँ-रवा था डॉक्टर-ज़ाकिर-हुसैन
चरख़ चिन्योटी
नज़्म
اس کي نفرت بھي عميق ، اس کي محبت بھي عميق
قہر بھي اس کا ہے اللہ کے بندوں پہ شفيق