aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ummiid-e-sifaarish"
दस्त-ए-उम्मीद में साग़र न देतेशा दे दे
सुना है बुझते बुझते भी तुम्हारे सर्द ओ मुर्दा लब सेएक शो'ला शोला-ए-याक़ूत-फ़ाम ओ रंग ओ उम्मीद-ए-फ़रोग़-ए-ज़िंदगी-आहंग लपका था
ता'लीम अगर नहीं है ज़माने के हस्ब-ओ-हालफिर क्या उमीद-ए-दौलत-ओ-आराम-ओ-एहतिराम
उमीद-ए-रहमत-ए-हक़ है वगर्नागुनह की मेरी ख़ू है और मैं हूँ
न हो नौमीद नौमीदी ज़वाल-ए-इल्म-ओ-इरफ़ाँ हैउमीद-ए-मर्द-ए-मोमिन है ख़ुदा के राज़-दानों में
ऐ उमीद-ए-दिल-ए-ना-काम कहाँ है आ जातेरी फ़ुर्क़त ख़लल-अंदाज़-ए-सुकून-ए-पैहम
या अहल-ए-दुनिया से अलगइक आबिद-ए-उज़्लत-गुज़ी
न तो फ़िक्र-ए-शाम-ए-फ़िराक़ हैन उमीद-ए-सुब्ह-ए-विसाल है
मगर ऐ सदा-ए-उमीद-ए-दिलमिरी ज़िंदगी तो क़लील है
जिसे याद-ए-बाल-ओ-परी न होकिसी राह-रौ से उमीद-ए-रहम-ओ-करम लिए
एक छोटी ही सी उम्मीद-ए-तरब-ज़ार सहीएक जुगनू का उजाला मिरी बरसात में है
उमीद ओ ना-उमीदीनाव काग़ज़ की
निगार-ए-यक-शब गुज़र चुकी हैउमीद-ए-नौ-रोज़ है कि तुम भी
वरक़-ए-ख़स्ता पे पेचीदा लकीरों का हुजूमहर्फ़-ए-उम्मीद-ओ-रजा
टूटते देख के देरीना तअत्तुल का फ़ुसूँनब्ज़-ए-उम्मीद-ए-वतन उभरी मगर डूब गई
सहर की बात उमीद-ए-सहर की बात सुनो
ये कर्ब-ए-जान-लेवा कब तलकरिहाई कब मिलेगी इस उम्मीदी-ओ-ना-उमीदी से
गंज-ए-उम्मीद-ओ-तरब छीन के रू-पोश हुईसामने आई न फिर मेरे क़ज़ा तेरे बाद
तमाम सूफ़ी ओ सालिक सभी शुयूख़ ओ इमामउमीद-ए-लुत्फ़ पे ऐवान-ए-कज-कुलाह में हैं
उम्मीद-ए-फ़र्दा से लौ लगाएचले थे लाने नया सवेरा
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