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नज़्म
आलम-ए-आब-ओ-ख़ाक में तेरे ज़ुहूर से फ़रोग़
ज़र्रा-ए-रेग को दिया तू ने तुलू-ए-आफ़्ताब!
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
हो न जाए राख जल कर ये दयार-ए-ख़ार-ओ-ख़स
डाल दे बिजली से ले कर उस के सीने में नफ़स
मैकश हैदराबादी
नज़्म
आज भी नुक्ता-चीं हूँ मैं ख़ल्वतियान-ए-ख़ास का
ख़ल्वतियान-ए-ख़ास का आज भी हूँ मिज़ाज-दाँ