aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "valvala-e-sa.ng"
हौसले वक़्त के और ज़ीस्त के यक-रंग हैं आजआबगीनों में तपाँ वलवला-ए-संग हैं आज
हम को जो मिल गया तसलसुल सेनज़र-ए-तूफ़ान-ए-संग तो न करें
अब तो वो वलवला-ए-अह्द-ए-जवानी भी नहींवक़्त मेरा ये नहीं इश्क़ के हंगामों का
वो नग़्मा कि इक वलवला-ए-शोला-ज़नी हैक्या गुल-बदनी गुल-बदनी गुल-बदनी है
दिलों में वलवला-ए-इंक़लाब है पैदाक़रीब आ गई शायद जहान-ए-पीर की मौत
ये ख़्वाब मर गए हैं तो बे-रंग है हयातयूँ है कि जैसे दस्त-ए-तह-ए-संग है हयात
तेरे भी गिर्द इक हिसार-ए-संगमेरे भी गिर्द इक हिसार-ए-संग
लम्हों की उर्यानियाँदा’वत-ए-संग
''मजबूरी ओ दावा-ए-गिरफ़्तारी-ए-उलफ़तदस्त-ए-तह-ए-संग-आमदा पैमान-ए-वफ़ा है''
आहन ओ संग ओ शरर बरसाएँआओ अश्जार की बुनियादों पर
और शहर-ए-संग मेंफिर मोम का जादू चला
धुएँ और कोहरे की परछाइयों से परेआतिश-ए-संग-ए-बे-ताब
सहर के उफ़ुक़ सेदेर तक बारिश-ए-संग होती रही
दर-ओ-बाम,आहन ओ चोब ओ संग ओ सीमाँ के
मोतियों की कान हैया रग-ए-संग-ए-गिराँ-माया की इक पहचान है
हर एक मौज-ए-हवा रुख़ बदल के झपटेगीहर एक शाख़ रग-ए-संग होती जाएगी
नंग-ए-पारसाई हूँवज्ह-ए-संग-सारी हूँ!
कोई ख़्वाब नोक-ए-सिनाँ पे थाकोई आरज़ू तह-ए-संग थी
दिन है फ़ौलाद-ए-संग तेग़-ए-अलमरात कम-ख़्वाब पंखुड़ी शबनम
मिरी जवानी के ताने-बानेहर इक रग-ए-संग में रवाँ हैं
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