आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "visaal-e-manzil-o-gaam"
नज़्म के संबंधित परिणाम "visaal-e-manzil-o-gaam"
नज़्म
सुना है हो भी चुका है फ़िराक़-ए-ज़ुल्मत-ओ-नूर
सुना है हो भी चुका है विसाल-ए-मंज़िल-ओ-गाम
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नज़्म
इब्न-ए-इंशा
नज़्म
यही वो मंज़िल-ए-मक़्सूद है कि जिस के लिए
बड़े ही अज़्म से अपने सफ़र पे निकले थे
सय्यदा शान-ए-मेराज
नज़्म
मैं चराग़-ए-सर-ए-मंज़िल हूँ मुझे जलने दे
मेरी ख़ातिर तू न कर ऐश-ए-बहाराँ से गुरेज़
सादिक़ नक़वी
नज़्म
क़रार-ए-ख़ातिर-ए-आशुफ़्ता है फ़ज़ा उस की
निशान-ए-मंज़िल-ए-सिद्क़-ओ-सफ़ा सुदेशी है
तिलोकचंद महरूम
नज़्म
निगार-ए-शाम-ए-ग़म मैं तुझ से रुख़्सत होने आया हूँ
गले मिल ले कि यूँ मिलने की नौबत फिर न आएगी